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Monday, March 14, 2011

होमियोपैथ दवा का दुष्प्रभाव

6.  होमियोपैथ दवा का दुष्प्रभाव


मेरे बाल्यावस्था की एक घटना महत्तवपूर्ण है.  उस समय मेरी उम्र डेढ़ वर्ष की थी.  मेरी माँ मुझे लेकर अपने मायके अगुवानपुर में थी.  उसी समय कोई होमियोपैथ दवाई जो कि मुझे मात्र कुछ बूंद देना था पर गलती से कुछ बूंद की जगह वह दवाई बहुत ही मात्रा में पिला दी गयी.  बस इसके बाद मेरा तबियत खराब हो गया और स्थिति लोगों के कंट्रोल से बाहर हो गया.  तब मेरी माँ मंजु देवी, नानी सुशीला देवी व बड़े मामा शिव शंकर लाल दास रात में ही मुझे सहरसा अस्पताल ले जाने के लिए अगुवानपुर से पैदल ही चल दिए.  साथ में शायद और कोई थे.  अँधेरी रात थी, सभी पैदल ही जा रहे थे.  बड़े मामा शिव शंकर लाल दास मुझे गोद में लिए हुए थे. उसी बीच रास्ते में सपठियाही (रास्ते में पड़ने वाला एक गाँव)  के आसपास शंकर मामा भूत देखे.  उस समय तो वे किसी को  नहीं कहे पर बाद में वे यह बात लोगों को बताये.  शंकर माम के अनुसार भूत जमीन से लेकर आसमान तक पूरा उजला खड़ा था फिर वह धड़ाम से गिर पड़ा.  यह भूत सिर्फ शंकर मामा ही देखे थे जबकि साथ के अन्य लोगों ने नहीं देखा.  दरअसल शंकर मामा हमेशा भूत को खोजते रहते थे.  वे भूत की खोज में श्मशान घाट व इधर-उधर घूमते-फिरते रहते थे पर कभी उनको भूत नहीं मिला.  और उनको भूत मिला तो उसी दिन जिस रात वे  मेरी तबियत खराब की स्थिति में मुझे गोद लेकर सहरसा जा रहे थे, जिसका वर्णन मैं ऊपर किया हूँ.  लोग सहरसा अस्पताल पहुंचकर मेरा ईलाज कराये.  सहरसा में रह रहे बड़े चाचा शशि नाथ दास के यहाँ खबर किया गया.  वे माँ लोग पर बहुत ही गुस्साए.............
प्रसंगवश मैं ऊपर आए मामा शिव शंकर लाल दास व नानी सुशीला देवी के बारे में कुछ बता देता हूँ.  -- मामा शिव शंकर लाल दास भूत को तो खोजते ही रहते थे.  वे बड़े-बड़े दाढ़ी रखते थे.  उनके ही शब्दों में उनके दाढ़ी की लम्बाई अंडकोष तक थी.  जिस तरह कुछ पंजाबी लोग अपने बाल को  लपेटकर माथा पर बांधते हैं उसी तरह ये अपने दाढ़ी को लपेटकर  ठुड्ढी के निचे बांधते थे.  एक बार नीलम नाम के एक लड़की से उनका प्रेम प्रसंग भी चला.  खुद उनके शब्दों में प्रेम प्रसंग तब तक चला जब तक कि लड़की मर नहीं गयी.  (विस्तृत बाद में बताऊंगा.)........ बाद में फिर शिव शंकर लाल दास किसी दूसरी लड़की से शादी करना नहीं चाहते थे पर फिर बाद में वे शादी करने को तैयार हुए पर उनका शर्त था कि जो लड़की वाला उनके दाढ़ी वाला चेहरा पर उन्हें पसंद कर लेगा उसी से वे शादी करेंगे. .......................
अब नानी सुशीला देवी के बारे में एक महत्त्वपूर्ण बात बताता हूँ.  बचपन में ही नानी सुशीला देवी एक बार मर गयी थी.  हुआ यह था कि उस समय वह बहुत ही छोटी थी उस समय एक बार वह मर गयी.  लोग मान लिए कि अब वे नहीं रही और उन्हें दफ़नाने के लिए गड्ढा खुदवा लिया गया था .  उन्हें दफ़नाने की पूरी तैयारी  कर ली गयी थी.  उसी बीच कोई देखा तो उसे लगा कि इसके शरीर में अभी प्राण है.  तब फिर उन्हें उस समय नहीं दफ़नाया गया.  बाद में वह बच्चा स्वस्थ हो गयी.  इसी सुशीला देवी के सबसे बड़ी संतान मेरी माँ मंजू देवी है व उनके दुसरे संतान ऊपर वर्णित शिव शंकर लाल दास उर्फ शंकर हैं.  इन दोनों के अलावा इनके और दो पुत्री (सुनीता व मोती) तथा एक पुत्र (गोपी नाथ कृष्ण उर्फ गोपाल) जीवित हैं जबकि एक पुत्र नारायण बचपन में ही शरीर छोड़ दिए थे. 

-- महेश कुमार वर्मा 
 Mahesh Kumar Verma 
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