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Tuesday, February 1, 2011

मैं व इंदिरा गाँधी

5. मैं व इंदिरा गाँधी

मेरे जन्म-दिन यानी 21 मार्च 1977  को भारतीय राजनीती के इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण घटना घटी थी.  इसी दिन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी चुनाव हारी थी.  मेरे पिताजी कहते थे कि उस रात एक तरफ से उन्हें मेरे जन्म का खबर मिला था तो दूसरी तरफ से इंदिरा गाँधी के चुनाव हारने का खबर मिला था.  मुझे याद है कि मेरे होश रहते पिताजी किसी को मेरे बारे में बताते हुए जब यह बात बताते थे तो लोग कहते थे कि तब तो यह इंदिरा गाँधी को हराने वाला लड़का है.......  मेरा जन्म रात 10 बजकर 30 मिनट पर हुआ था और उस रात All India Radio के रात्रि के 11 या 11:05 बजे के समाचार से यह स्पष्ट हुआ था कि इंदिरा गाँधी चुनाव हार गयी है.  All India Radio द्वारा इस समाचार के बाद गाना बजाया गया था - झुमका गिरा रे......
प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी से संबंधित एक और घटना मेरे जीवन से जुड़ी है.  31 अक्टूबर 1984 को जब प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी को गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी और यह खबर जब मुझतक पहुंची कि गोली मारकर हत्या कर दी गयी तो मैं उस रोज खूब रोया था.  बस मैं यही कहता था कि क्यों गोली मारा...........  मैं उस रोज पूरे दिन-रात रोते रहा.  मैं न तो इंदिरा गाँधी को जानता था न तो उन्हें पहचानता था और न तो मेरे सामने गोली मारी गयी थी.  बस मुझतक सिर्फ इतनी ही खबर पहुंची थी कि गोली मारकर मार दिया गया.  बस उसके बाद मेरा यह प्रश्न कि क्यों गोली मारा, मुझे दिन-रात रुलाते रहा और मैं घर वालों से हमेशा यह प्रश्न पूछते रहा कि गोली क्यों मारा?  पर मुझ साढ़े सात साल के बच्चा को कोई इस प्रश्न का जवाब नहीं दे सका कि क्यों गोली मारा?  फिर मैं चुप कैसे हुआ या अगले दिन स्वतः चुप हो गया या कैसे चुप हुआ यह मुझे याद नहीं है.
दरअसल गलत के प्रति मैं बचपन से ही काफी संवेदनशील व गलत के खिलाफ रहा हूँ.  बचपन से लेकर बड़े तक या यों कहें कि अब तक भी मुझमें यह देखा जाता रहा है कि जब भी मैं कोई वैसा कहानी या प्रसंग पढ़ता या पढ़कर किसी को सुनाता हूँ जिसमें करुण या दर्द भरे घटना का जिक्र रहता है तो उस समय मुझे रुलाई आ जाती है.


-- महेश कुमार वर्मा
Mahesh Kumar Verma
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